किराये के मकान

मकान सारे किराये के ही होते हैं। जिस्म में रहने के लिए रूह को भी कर्म का किराया देना पड़ता है, जिसका की क़यामत के दिन चित्रगुप्त के खाते के हिसाब से हिसाब देना पड़ता है।

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आनंद भैरव नाथ

अधिक तत्त तौ गुरू कहे, हीन तत्त तौ चेला, मन माने तो संग रमौ, वरना रमौ अकेला